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Surendra kumar singh

Others

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Surendra kumar singh

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अच्छा लग रहा है

अच्छा लग रहा है

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आज जब से सुबह हुयी है अच्छा लग रहा है

दिन बिता, शाम आयी रात होने को है

अच्छा लगना बदस्तूर जारी है

और मैं सोच रहा हूँ अच्छा तो कुछ दिख नहीं रहा है

फिर अच्छा क्यों लग रहा है

हो सकता है कोई मेरी प्रशंसा कर रहा हो

हो सकता ये किसी की दुआ का प्रतिफल हो

हो सकता ये किसी पिछले जन्म की कमाई का असर हो


हो सकता कहीं कोई कह रहा हो मैं अच्छा आदमी हूँ

हो सकता जो भी हो रहा है जीवन के चारों तरफ

मसलन किसानों का धरना प्रदर्शन

सरकार का आश्वासन सब कुछ अच्छा ही हो

सीमा पर तनाव

की खबरें और उन खबरों के बीच

हमारा खुद पर विश्वास अच्छा हो


पर अच्छा होने की तमाम सम्भवनाओं के बीच

कुछ अच्छा दिख नहीं रहा है

पर अच्छा लग रहा है

ये अच्छा लगना और उसकी तलाश में

मेरा वो सब कुछ सोचना जैसा कि मैं कह रहा हूँ

ठीक ठीक वैसा ही है जैसे ईश्वर है तो सही

पर दिखता नहीं


अच्छा लग तो रहा है पर अच्छा कुछ दिख नहीं रहा है

हां अच्छा लगने का सिलसिला बदस्तूर जारी है

आप की यादों की तरह कभी मिले नहीं

पर याद आती है वजह वही आप के दो प्रेम भरे शब्द।


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