अभी जीना है मुझे बचपन को
अभी जीना है मुझे बचपन को


चलो वापिस चले अभी बचपन
को तो जिया भी नहीं
अभी तो माँ की ऊँगली छोड़े
ज्यादा समय हुआ भी नहीं
मुझे तो आज भी खेलना है
उस गरम दुपहरिया में
अभी तो पैरो में मेरे कोई दर्द
हुआ भी नहीं
यारों के साथ कक्षा की आखिरी
बैंच पे कागज़ की नाव बनानी है
अभी तो मेरा सावन आया भी नहीं
बिन लाइट के अपनों के साथ
आसमान के तारों को मुझे गिनना है
अभी तो रात का अंधेरा कही
पसरा भी नहीं ..
बाबा के उन रुपियो से जो सारे
जहाँ को मैंने खरीदना था, वो बाजार
तो अभी खुला भी नहीं
माँ को अपने पीछे भगाना है, अभी
तो उसने मुझे छुआ भी नहीं
मेरी तो रात की कहानियाँ भी अभी
अधूरी है, उनको पूरा करने का
समय अभी हुआ भी नहीं
अभी तो मुझे जीना है अपने
बचपन को बड़े होने का समय
अभी हुआ तो नहीं...