आरजू
आरजू
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हवाओं का यह रूखापन
तुझ से मिलने की जद्दोजहद
सूखे पत्तों की तरह टूटता,
बिखरता दर बदर
रखता है आरजू उन लम्हों की
जब होगी फिजाओं में कुछ नमी भी।