सूखे पत्तों की तरह टूटता, बिखरता दरबदर सूखे पत्तों की तरह टूटता, बिखरता दरबदर
ये चिंताओं का रूखापन कब तक सोख सकेगा प्रेम की स्निग्धता ! ये चिंताओं का रूखापन कब तक सोख सकेगा प्रेम की स्निग्धता !