आज फिर....
आज फिर....
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आज फिर कुछ लिखुं, मन करता है
जो कुछ पल खोया था, ठूंठा करता है
हर पल, बीतने के बाद, खुशनुमा लगता है
हर अजनबी चेहरा, मुझे अपना लगता है
पहले था अकेला, बेसहारा सा मैं,
हर नज़र को, लगता था, आवारा सा मैं
पा लिया है क्या, ख़ुद को मैंने,
न, कुछ बदल लिया, ख़ुद को मैंने
तेरी बनाई दुनिया, बहुत प्यारी लगती है
हर कोई अपना सा, सबसे यारी लगती है।