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Swati Tyagi

Others

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आज फिर हाथ में क़लम आया

आज फिर हाथ में क़लम आया

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आज फिर हाथ में क़लम आया

बहुत कुछ लिखा, वो सब लिखा जो मन आया

आज फिर हाथ में क़लम आया


पर अब बचपन वाली बात नहीं रही

न वो हौसला, न मस्ती साथ रही

न गलती करने की हिम्मत

न अब काग़ज़ पे मन की तस्वीर

उतार देने वाली बात रही

फिर भी, आज फिर हाथ में क़लम आया


पहले कुछ भी लिखा, गर्व से सबको पढ़ाया

अब सचेत होकर लिखती हूँ ,

कोई देख न ले काग़ज़ पे मन का साया

आज फिर हाथ में क़लम आया


काग़ज़ भी वही है, क़लम भी वही

लिखने पे मिलने वाली ख़ुशी भी वही

मुझमें कुछ पुराना है, तो कुछ नया भी सही


आज फिर हाथ में क़लम आया

बहुत कुछ लिखा

वो सब लिखा जो मन आया


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