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Akshat Shahi

Others

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Akshat Shahi

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आगे

आगे

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वो आगे बढ़ते जाते हैं, 

मुड़-मुड़ कर पीछे देखते हैं,

मैं बैठा हूँ पीछे मुंतज़िर,

उनकी दुनिया सम्भाले। 


यूँ नहीं कि मंज़र नहीं आगे, 

मैं बस चाहता हूँ इतना, 

वो एक कदम थाम लें,

अगले कदम से पहले। 


साथ चलूँगा वादा दिया था, 

वादा निभाऊँगा उम्र भर,

बस एक गीत गुनगुना लूँ,

कदम मिलाने से पहले। 


ये रास्ते बोझिल हैं इस कदर, 

मंज़िल को ही भूले बैठे हैं, 

इस नादान को तो समझा लूँ, 

मंज़िल को पाने से पहले। 


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