गुनाह गुनाह
ये रास्ते बोझिल हैं इस कदर, मंज़िल को ही भूले बैठे हैं, इस नादान को तो समझा लूँ... ये रास्ते बोझिल हैं इस कदर, मंज़िल को ही भूले बैठे हैं, इस नादान को तो समझा ...