आदमी बदनाम हो गया है
आदमी बदनाम हो गया है
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जीना कितना दुश्वार हो गया है,
मौत का ये फरमान हो गया है;
चंद सांसें मिल गईं जो चैन की,
आप पर ये एहसान हो गया है;
पगड़ी, फेटा, जामा रह गया है,
आदमी अब बेनाम हो गया है;
फूल हम ही नोचा किए बाग़ के,
बाग़बां क्यों बदनाम हो गया है;
होंठ कर लिए सीलबंद जिस दम,
बात कहना - आसान हो गया है।
