तो बोल उठेंगी कहानियां मेरी...! तो बोल उठेंगी कहानियां मेरी...!
ये राहें कुछ तो कहती हैं...। ये राहें कुछ तो कहती हैं...।
और मेरी मां भी गुस्से के साथ साथ हँस रही थी अपने बेटे की प्यारी शरारत पर। और मेरी मां भी गुस्से के साथ साथ हँस रही थी अपने बेटे की प्यारी शरारत पर।
पथिक है मुसाफिर, तो पथिक बन के चल तू। पथिक है मुसाफिर, तो पथिक बन के चल तू।
दीबा है मेरा नाम मेरे रुप कई हैं हूँ धूप कहीँ और कहीँ सावन की झड़ी हूँ दीबा है मेरा नाम मेरे रुप कई हैं हूँ धूप कहीँ और कहीँ सावन की झड़ी ...
और लोग समझते हैं , हम हमेशा से ही रौशनियाँ लपेटे हैं। और लोग समझते हैं , हम हमेशा से ही रौशनियाँ लपेटे हैं।