पथिक है मुसाफिर
पथिक है मुसाफिर
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पथिक है मुसाफिर, तो पथिक बन के चल तू,
डगर को निडर कर, न व्यतिथ बन के चल तू।
ले हौसले को हौसले से, न अतिथ बन के चल तू।
पथिक है मुसाफिर, तो पथिक बन के चल तू।।
है सर तेरा, है पाँव तेरा, ये धूप भी ये छाँव तेरा,
झोंक दे तू खुद अब,फिर घर तेरा ये गांव तेरा,।
फिर काम क्रोध लोभ से, न अधिक बन के चल तू,
पथिक है मुसाफिर, तो पथिक बन के चल तू।
डगर को निडर कर, न व्यतिथ बन के चल तू।।
डगर को निडर कर, न निराश बन के चल तू।
लोग है पीछे तेरे, चल आस बन के चल तू।
पथिक है मुसाफिर, तो पथिक बन के चल तू।।