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sunita mishra

Inspirational

3  

sunita mishra

Inspirational

1-घायल है पर्यावरण

1-घायल है पर्यावरण

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दे रह स्वयं मानव आमंत्रण,

कैसे करेगा भला फिर नियंत्रण।

जख्मी धरती जख्मी आकाश

पेड़-पौधों का कर रहा विनाश,

घायल है पर्यावरण का विश्वास।


दे रहा स्वयं मानव आमंत्रण,

कैसे करेगा भला फिर नियंत्रण।


पशु-पक्षियों की करता हत्‍याएँ

जलचर के संकट की न सीमाएँ,

नदियों को जहरीली यातनाएँ।


दे रहा स्वयं मानव आमंत्रण,

कैसे करेगा भला फिर नियंत्रण।


आदमी को आदमी से नफरत

ईर्ष्या द्वेष अहंकार की चाहत,

मानव जीवन की अब ये हालत।


दे रहा स्वयं मानव आमंत्रण,

कैसे करेगा भला फिर नियंत्रण ।


खतरे में पड़ गये हैं आज वृक्ष सब विशाल,

समाचार पत्रों में प्रकाशित बड़े वृक्षों पर काल।


कह रहा है ये वैज्ञानिकों का हालिया अध्ययन,

बूढ़े बडे़ वृक्षों का हो रहा है तेजी से क्षरण।


कट रहे वृक्ष जिसकी उम्र सौ से तीन सौ साल,

खतरे में पड़ गये हैं आज वृक्ष सब विशाल।


कारण. इसके कई हैं वैज्ञानिक मतानुसार,

सूखा तापमान. और कटाई लगातार।


प्रकृति भी हो सकती है इससे अति वाचाल,

खतरे में पड़ गये हैं आज वृक्ष सब विशाल।


कीट हमलाऔर जलवायु परिवर्तन भी कारण,

समय रहते किया जाना चाहिए दोष निवारण।


सब इससे परिचित हैं कि ये हैं प्रकृति की ढाल,

खतरे में पड़ गये हैं आज वृक्ष सब विशाल।


बूँद. -बूँद से सागर भरता भरे बूँद -बूँद से गागर भी,

कण-कण से बनी वसुन्धरा तार- तार से बनी चादर भी।


फूल-फूल से गुलशन बनता कली -कली से बनी माला भी,

इक चिंगारी बढ़ बन जाती ऊँची- ऊँची जले ज्वाला भी।


शब्द -शब्द से बड़े ग्रंथ बने हैं शब्द- शब्द से सुर सरगम भी,

ज्ञानी -ध्यानी सब ज्ञान की बातें सदा करें हम सब हृदयंगम भी।


एक बीज से पेड़ पौधा पनपे वृक्ष-वृक्ष से है सुन्दर वन भी,

मृग की नाभि में खुशबू है खुशबू देता है ये चन्दन भी।


तारे -तारे से भरा आकाश है चाँद से किरणें उज्जवल भी,

सूर्य की किरणें ऊष्मा देकर पर्यावरण को देती बल भी।


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