चरित्र
चरित्र
महान व्यक्तित्व विराट,अत्यंत शक्तिशाली, ज्ञानी, नरेश कई दिन से उदास था। उतरे हुए आनन को देख भार्या को अपने स्वामी का गर्व से दीप्तिमान, सूर्य सा दमकता वह चेहरा याद आ गया और तरस खाकर, सारा बैर भुलाकर महल के देवालय से उठकर,आँचल से आंसू पोंछते हुए पति के सम्मुख आकर बोली- "स्वामी आपका यह रूप मैं नहीं देख सकती। आपकी समस्या का एक हल है मेरे पास।"
अपना पीला चेहरा ऊपर उठाये बिना ही महाराज ने सहमति में सिर हिलाया।
डरते डरते महारानी ने कहा-
"आप तो छद्म वेश धारण करने में माहिर है आप उनके पति का रूप लेकर उनके पास जायें।"
हंस कर खिसियाते हुये महिपति बोला, "प्रिये यह तो मैं कर चुका हूँ जब भी उनका वेश धरता हूँ तो हर स्त्री मुझे अपनी माता जान पड़ती हैं।"
