नारी
नारी


कोइ पूजता, कोई चाहता, कोई बड़े अदब से है पुकारता
कोई कोसता, कोई तोड़ता, कोई राक्षस सा प्रताड़ता
वो मां है, वो बेटी है, है बहन वो किसी की
वो दुर्गा है, काली है, कई रूप हैं उसी के
वो प्यार है, दुलार है, वो ही घर का श्रृंगार है
मां के रूप में ममता है वो, फिर क्यों उसपे दुखों का हार है
उससे ही परिवार है, ना बढ़े उसके बिना घर बार है
फिर भी कोक में मार देते उसे, जो तेरे वंश का सार है
जो रोकता जो मारता ये जो क्रूरता का जाल है
जला के भस्म कर इसे ,तेरे हाथ में ही तेरा हाल है
नामुमकिन को जो मुमकिन करे,ऐसा तेरा काम है
तलवार उठा के जंग लड़ी,यमराज से भी लेे अयी तू प्राण है
तू बेटी है, बोझ नहीं, तू पत्नी है, नहीं गुलाम
तू गृहणी है, तू देवी है, ए नारी तुझे सौ बार सलाम।