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Yalnaaz Lakdawala

Romance

3  

Yalnaaz Lakdawala

Romance

जी चाहता है

जी चाहता है

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तेरी आगोश में खुद को खोने को जी चाहता है

तेुझसे कूच इस कदर जुडने को जी चाहता है

अब ये दूरी बर्दाश्त नही

अपनी रूह को तुझमे खोने को जी चाहता है


ये तेरा कुछ नजदीक आना

फिर कुछ ईझहार कर यु दूर चला जाना

एक शमा सा जला जाता है

अपनी रूह को तुझमे खोने को जी चाहता है।


तेरी बाहों में लिपटे हर सुबह हो मेरी

तुझे तसव्वुर से हकीकत बनते देख गुझरे हर रात मेरी

अब यही एक दुआ पर आमीन हर फरिश्ता कह जाता है

इस रूह को तुझमे खोने को जी चाहता है।


जब आँखों से आँखें इस कदर मिलती है

मोहब्बत के हर एहसास को साबित कर देती है

महसूस तुझे इन आँखों से ही कर जाते है

मगर फिर भी तुझमे खोने को जी चाहता है।


इंतज़ार ये तेरा अब और नहीं हो पाता है

अपनी रूह को तुझमें खोने को जी चाहता है।


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