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Padmaja Mishra

Tragedy

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Padmaja Mishra

Tragedy

आंसू रोक लिए हैं हमने।

आंसू रोक लिए हैं हमने।

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अपने आंसू रोक लिए थे हमने

यह कहके के जी लेंगे तुम्हारे बग़ैर।

दिल से उठती हर सिसक को पी लिया

कड़वी शराब समझ के।

दिमाग के नसों में उथल पुथल मच रही थीं।

मग़र हम जुबान से जहर उगलते गए।

और तुम एक-टक देखते गए मुझे।

जैसे मैं वो हूं ही नहीं जो तुम्हारी थी।

हाँ, सही सोच थी तुम्हारी,

पहली बार में तुम्हारी नहीं थी।

उस दिन एक बेटी बोल रही थी।

जो अपने परिवार को शायद,

तुमसे ऊपर रखती थी।

हाँ! कह सकते हो

के में धोखेबाज हूँ,

बेवफ़ा और बेकदर हूँ।

पर दिल को जो तुम्हारा मर्ज़ चढ़ा है,

उसकी कोई दवा बता दो?

क्यों की अब तक,

हम ने किसी को मरहम तक लगाने नहीं दिया है ।


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