अंतरिक्ष केन्द्रीय विद्यालय, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (ISRO) में हिंदी अध्यापक।
किसी और की परछाई को, अपना कैसे मान लिया ? किसी और की परछाई को, अपना कैसे मान लिया ?
लहू पी के बेबसों का बने हैं ये खटमल, छीन के बिछौना खुद के नीचे रखे हैं मलमल लहू पी के बेबसों का बने हैं ये खटमल, छीन के बिछौना खुद के नीचे रखे हैं मलमल
अनगढ़ ज़िदगी के पथिक अनजाने हैं हम, अनगढ़ ज़िदगी के पथिक अनजाने हैं हम,
कभी थी तमन्ना उनसे हमें कुछ मिलने की, मगर आज हम खुद के मददगार हो गए। कभी थी तमन्ना उनसे हमें कुछ मिलने की, मगर आज हम खुद के मददगार हो गए।
एक मुस्कुराते हुए बोला हमको, गाड़ी अब बुढ़ापे की ओर चल है पड़ी एक मुस्कुराते हुए बोला हमको, गाड़ी अब बुढ़ापे की ओर चल है पड़ी
सागर के तह में जो बूँद जम जाए, वह मोती कहलाए। सागर के तह में जो बूँद जम जाए, वह मोती कहलाए।
वक्त और याद में बस यही फ़र्क खलता है, भिगोकर आँसुओं से नैनों को सुकून मिलता है।। वक्त और याद में बस यही फ़र्क खलता है, भिगोकर आँसुओं से नैनों को सुकून मिलता है...
विज्ञान से मनु जितना दौड़ा एक कहर से आज अड़ा। विज्ञान से मनु जितना दौड़ा एक कहर से आज अड़ा।