RETIREE
नहीं होती जुबां घायल बदनुमा अल्फाजों से नहीं होती जुबां घायल बदनुमा अल्फाजों से
जिंदगी के उन जलसों से कोसों दूर निकल आए हैं जिंदगी के उन जलसों से कोसों दूर निकल आए हैं
क्या ये लम्हे नहीं है काफी मानाने में जशने ख्वाहिश ? क्या ये लम्हे नहीं है काफी मानाने में जशने ख्वाहिश ?
मुलम्मा चढ़ा ग़ुरूर का मग़रूर से सराबोर थे. मुलम्मा चढ़ा ग़ुरूर का मग़रूर से सराबोर थे.
जिन लोगों से हम कतराते थे उनका साथ तस्लीम किया जिन लोगों से हम कतराते थे उनका साथ तस्लीम किया
दोस्त जमा हो जाते थे रौनक खूूब लग जाती थी। दोस्त जमा हो जाते थे रौनक खूूब लग जाती थी।
जब हमें यहां कोई बेगाना नज़र ही नहीं आया और आप सब हमारे खेरखवाह ही निकले। जब हमें यहां कोई बेगाना नज़र ही नहीं आया और आप सब हमारे खेरखवाह ही निकले।
द्वार बंद घर पर ही रहिए महामारी से लड़ते भी रहिए द्वार बंद घर पर ही रहिए महामारी से लड़ते भी रहिए
बदलती रिवायत को तस्लीम कर लेना ही हमारी तबियत के लिए काफी है I बदलती रिवायत को तस्लीम कर लेना ही हमारी तबियत के लिए काफी है I