YOGESHWAR DAYAL Mathur
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पी-एम के आव्हान का दिया दिए तो बहुत जलाए थे हर वर्ष दीपावली के पर्व पर हमने पर उस दिन एक ही दिये का प्रकाश अलौकिक था दीपावली के दिए अनुष्ठान के थे पर लॉक डा-उन का दिया निष्ठा का था

फ़ुरसत के लमहे कोशिश तो बहुत की जिंदगी भर खुद अपने से रूबरू होने की। पर ग़फ़लत भरी ज़िंदगी ने हमें इसकी मुहलत ही न दी । जब लोकडाउन में फ़ुरसत के ये लमहे आएं हैं तो दोस्तों, इन्हें ज़ाया मत करना

The Court of Law The Court of Law is a battlefield for the custodians of law. An arena for intellectuals to show off their ability to manipulate. A laboratory to synthesis the truth. A graveyard to bury the facts and an archive of ruins.

बदगुमानी थी ग़ैरों से पता नहीं क्यों ज़हन में बदगुमानी थी ग़ैरों से उनकी अपनाइयत पर अफ़सोस हुआ अपनी तंग सोच पर जब देखा, रुख़सती पर कंधे तो ग़ैरों के भी थे

संगे मज़ार ज़िंदगी के रास्ते पर संगेमील तो नहीं होते। पर कुछ मुकाम इस फासले का अहसास करा देते हैं। सफर का शुरुवाती पत्थर घर की दहलीज़ होता है और आख़िरी धय्या पर संगेमज़ार होता है।

ज़िंदगी के रास्ते ज़िंदगी के रास्ते पर अजीबोगरीब मोड़ तो बहुत दिखाए तू-ने या-रब पर हम ही कहीं मुड़ न पाए और सीधे चलते गए रास्ता लंबा ज़रुर था और आसान भी न था पर सीधे रास्ते पर सुकून बहुत था और खूबसूरती भी


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