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या फिर जब गिरेगा वो परदा धवल रोशनी आखिरी चमक होगी उम्र की। या फिर जब गिरेगा वो परदा धवल रोशनी आखिरी चमक होगी उम्र की।
रूबरू हुए जिससे एक हिस्सा उधार दे दिया। रूबरू हुए जिससे एक हिस्सा उधार दे दिया।
मासूमियत से भरे खैर के क़ासिद आबाद लगें मासूमियत से भरे खैर के क़ासिद आबाद लगें
रफ्तार बराबर करने का मुसलसल ज़ोर करती हूँ रफ्तार बराबर करने का मुसलसल ज़ोर करती हूँ
हल्की-फुल्की सी है ज़िन्दगी इतना दर्द से हमदर्दी क्यूँ रखते हैं। हल्की-फुल्की सी है ज़िन्दगी इतना दर्द से हमदर्दी क्यूँ रखते हैं।
घर से शहर को निकलते हुए मैं अपने साथ थोड़ा घर ले आई। घर से शहर को निकलते हुए मैं अपने साथ थोड़ा घर ले आई।
ये चेहरा आँखों से झुका रहता है। ये चेहरा आँखों से झुका रहता है।
बसर के दायरे में वही समाँ एक बसर के दायरे में वही समाँ एक
फिर सही-गलत लाभ-हानि उलझी रहती हिसाब में फिर सही-गलत लाभ-हानि उलझी रहती हिसाब में
नहीं मिलते सिरे तो मिल जाने दो सीधे रास्ते नहीं मिलते सिरे तो मिल जाने दो सीधे रास्ते