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खत्म हो गया फिर तो बस दादी के दाँतों का, सारा रगड़ा, खत्म हो गया फिर तो बस दादी के दाँतों का, सारा रगड़ा,
गया था चूहा इक दिन खाने अनाज बाजार में! गया था चूहा इक दिन खाने अनाज बाजार में!
क्या होगा जो पुष्प सभी उतर आएँ बगावत पर ? क्या होगा जो पुष्प सभी उतर आएँ बगावत पर ?
निकाल लाऊँ लम्हे वही वक्त की तिजोरी से पहले की तरह आज फिर अपनी चाहत लिखूँ, निकाल लाऊँ लम्हे वही वक्त की तिजोरी से पहले की तरह आज फिर अपनी चाहत लिखूँ,
मुझमें सुलगती चिंगारी को स्पर्श तुम्हारा करता कुंदन, मुझमें सुलगती चिंगारी को स्पर्श तुम्हारा करता कुंदन,
होती है मुलाकात मेरी जब भी तन्हाई से करती हूँ बातें ढेरों मैं अपनी ही परछाई से। होती है मुलाकात मेरी जब भी तन्हाई से करती हूँ बातें ढेरों मैं अपनी ही परछाई स...
खड़ा है अपनी बाँह पसारे करो नव वर्ष का तुम आगाज़। खड़ा है अपनी बाँह पसारे करो नव वर्ष का तुम आगाज़।
नहीं है कसूर इसमें कुछ भी किसी ओर का अपनी हालत कि खुद ही वजह करके बैठे हैं, नहीं है कसूर इसमें कुछ भी किसी ओर का अपनी हालत कि खुद ही वजह करके बैठे हैं,
आँखों बता रही हैं के वो रो करके बैठे हैं औ' कह रहे हैं वो के मुँह धो करके बैठे हैं, आँखों बता रही हैं के वो रो करके बैठे हैं औ' कह रहे हैं वो के मुँह धो करके बैठ...
महसूस करना तुम मुझे कविताओं में मेरी मैं रहूँगी उनमें सदा ही "तुम्हारे लिए" । महसूस करना तुम मुझे कविताओं में मेरी मैं रहूँगी उनमें सदा ही "तुम...