कमल पुरोहित "अपरिचित" अपरिचित यानी जिसका कोई परिचय नहीं और जिसका परिचय नही उसके बारे में कुछ लिखना बेईमानी होगी। पहचान बस इतनी सी है भारत देश में जन्म हुआ और लेखन के शौक की वजह से साहित्य की दुनिया में कदम रखा है।
शक्ति आजमाने को अपनी, महिषासुर था आतुर सा। शक्ति आजमाने को अपनी, महिषासुर था आतुर सा।
जीवन की हर बाधाओं में, साथ और भी तगड़ा हो जीवन की हर बाधाओं में, साथ और भी तगड़ा हो
हो मेरे दिल की अमानत दोस्तों। हर घड़ी रहना सलामत दोस्तों। हो मेरे दिल की अमानत दोस्तों। हर घड़ी रहना सलामत दोस्तों।
तेरी यादों की बारिश में बरसती आँख ये मेरी तुझे पाने की ख़्वाहिश में तड़पती आँख ये मेरी। तेरी यादों की बारिश में बरसती आँख ये मेरी तुझे पाने की ख़्वाहिश में तड़पती आँख...
सांस जब तक चलेगी लड़ेंगे वतन। जान तेरे लिए अपनी देंगे वतन। सांस जब तक चलेगी लड़ेंगे वतन। जान तेरे लिए अपनी देंगे वतन।
हरारत सर्द खांसी बेअसर होते हैं महिला पर हरारत सर्द खांसी बेअसर होते हैं महिला पर
मेरी बस यही थी मजबूरी, मैं न चाहता था तुमसे दूरी। मेरी बस यही थी मजबूरी, मैं न चाहता था तुमसे दूरी।
वो साल उसे याद हो न हो मुझे याद है। वो साल उसे याद हो न हो मुझे याद है।
वो बम तो बहाना था, बहरों को सुनाना था। इंकलाब के नारों को,देश में फैलाना था। वो बम तो बहाना था, बहरों को सुनाना था। इंकलाब के नारों को,देश में फैलाना था।
दोषी को चाहे जैसी तुम, सज़ा दिलाओ हर्ज नहीं दोषी को चाहे जैसी तुम, सज़ा दिलाओ हर्ज नहीं