लिखना मेरा ज़िंदगी है। सुख, दुख, प्यार, चिंता सब कागज़ पर उकेर कर एक इन्द्रधनुष बनाती रहती हूं। जिसका रंग मुझे लगातार उत्साहित करता है, प्रेरित करता है।
दिल के कैनवास पर मैं जब भी रंग छिड़कती हूँ। दिल के कैनवास पर मैं जब भी रंग छिड़कती हूँ।
मेरे मन के शांत सरोवर में लहरों का सैलाब सा आता है। मेरे मन के शांत सरोवर में लहरों का सैलाब सा आता है।
रात अकेली विरह सहेली करवट बदल रही है। रात अकेली विरह सहेली करवट बदल रही है।
रात और दिन एक सा राधा भी मैं मैं श्याम हूंँ प्रेम के धागे से सपने रागिनी बुनने लगी। रात और दिन एक सा राधा भी मैं मैं श्याम हूंँ प्रेम के धागे से सपने रागिनी बुन...
मन है घायल अपने ही दृग तीर खा कर सोलह बसंती ऋतु को अंतः में समा कर मन है घायल अपने ही दृग तीर खा कर सोलह बसंती ऋतु को अंतः में समा कर
जब से मेरी उम्मीदों ने मेरे दिल को छुआ है, मुझे ख़ुद से इश्क़ हुआ है। जब से मेरी उम्मीदों ने मेरे दिल को छुआ है, मुझे ख़ुद से इश्क़ हुआ है।
हर बार की तरह इस बार भी विफल पुरुषत्व की नकेल कसने में असफल ! हर बार की तरह इस बार भी विफल पुरुषत्व की नकेल कसने में असफल !
घूँघट में सिमटा-सिमटा, एक चाँद दिखाई देता है। घूँघट में सिमटा-सिमटा, एक चाँद दिखाई देता है।