Poem And Story Writter
फिर एक रोशनदान बना डाले तू भी झांके मैं भी झांकूँ फिर एक रोशनदान बना डाले तू भी झांके मैं भी झांकूँ
पर तेरी अनुपम कृति पर प्रभु, विकट राक्षस की छाया है पर तेरी अनुपम कृति पर प्रभु, विकट राक्षस की छाया है
पंख खोल कर दिन भर उड़ते, सब के आंगन में चहकते पंख खोल कर दिन भर उड़ते, सब के आंगन में चहकते
सपनों को अपनी आंखों में ही सुला कर , कल के लिए रखे हैं अरमान छिपा कर! सपनों को अपनी आंखों में ही सुला कर , कल के लिए रखे हैं अरमान छिपा कर!
सपनों को अपनी आंखों में ही सुलाकर कल के लिए रखे हैं अरमान छुपा कर। सपनों को अपनी आंखों में ही सुलाकर कल के लिए रखे हैं अरमान छुपा कर।
जाने कौन मिटा गया था , मेरी ठुकराई हुई मंजिल के निशां ! जाने कौन मिटा गया था , मेरी ठुकराई हुई मंजिल के निशां !
फिर वही जीत का एहसास दिला मेरे बचपन , आ लौट कर आजा मेरे बचपन फिर वही जीत का एहसास दिला मेरे बचपन , आ लौट कर आजा मेरे बचपन
गैरों को तो क्या अपनों को भी रुला ना सके, भटके इस तरह घर जा ना सके। गैरों को तो क्या अपनों को भी रुला ना सके, भटके इस तरह घर जा ना सके।
कि जाते-जाते किसी को थोड़ा सा रुला ना सके भटके इस कदर कि घर जा ना सके। कि जाते-जाते किसी को थोड़ा सा रुला ना सके भटके इस कदर कि घर जा ना सके।
हो गया है शंखनाद हो गया है शंखनाद