मै मनीषा सहाय सुमन, पिता कवि सुरेन्द्र नाथ सक्सेना,बचपन से ही पिता के साहित्य साधना से प्रेरित रही और उनका अनुसरण कर कुछ सार व भावयुक्त लिखने का प्रयत्न करती हूं।
प्रेम में तेरे नित नित संवरूं, खुली एक किताब रे, प्रेम में तेरे नित नित संवरूं, खुली एक किताब रे,
सड़कों पर हो रहा न्याय, बेहाल व्यवस्था, चुप समाज, मानव पतन या विकास, सोचें सभी मिलकर आज... सड़कों पर हो रहा न्याय, बेहाल व्यवस्था, चुप समाज, मानव पतन या विकास, सोचें सभ...
मेरे संकल्प से मुझे कोई हटा नहीं सकता है, डर से मुझे कोई डरा नहीं सकता, लाख रोड़े अड़ा राहों में ग... मेरे संकल्प से मुझे कोई हटा नहीं सकता है, डर से मुझे कोई डरा नहीं सकता, लाख रो...
वर्तिका जलती रही रात भर, बस प्रेम मैं चुनती रही रात भर, सकुचाती रही खुद से शर्माती रही, भावना... वर्तिका जलती रही रात भर, बस प्रेम मैं चुनती रही रात भर, सकुचाती रही खुद से...
आगे आँगन, पीछे बगान होगा, फूलों की खुशबू भंवरों का गाना होगा, कोयल की कूक से गूँजत आगे आँगन, पीछे बगान होगा, फूलों की खुशबू भंवरों का गाना होगा, कोयल की कू...
दानव बन मानव छले, करता नए घात, नियती का खेल देखो, मिली मौत अज्ञात। नारी पर कुदृष दानव बन मानव छले, करता नए घात, नियती का खेल देखो, मिली मौत अज्ञात। ना...
कहां मैंने कोई मुकाम मांगा है, अपने कदमों को बेहिसाब मांगा है, कहां मैंने बेहिसाब मांगा है, स्वात... कहां मैंने कोई मुकाम मांगा है, अपने कदमों को बेहिसाब मांगा है, कहां मैंने बेहि...
मेरे मन में आज तक, जाने कहाँ छुपा ये उदगार था। मेरे मन में आज तक, जाने कहाँ छुपा ये उदगार था।
माँ थोड़ा सा मुस्काती है, सारी चिंता मिट जाती है, नजर नहीं लग जाए मुझको, काला टी माँ थोड़ा सा मुस्काती है, सारी चिंता मिट जाती है, नजर नहीं लग जाए मुझको,...
आईये नये कुछ उसूल बनाए, नफरतों की हर दिवार गिराएं, धर्म जाती के भेद मिटा कर, एक दुजे को गले से... आईये नये कुछ उसूल बनाए, नफरतों की हर दिवार गिराएं, धर्म जाती के भेद मिटा कर,...