22 वर्षों से अध्यापन कार्य, 23 वर्षों से लेखन कार्य, कवि, कहानीकार, नज़्मकार, ग़ज़लकार। प्रसून पंखी, बाअदब, धूप और बारिश, आखर आखर रेत - चार पुस्तकें प्रकाशित. सम्प्रति बिहार सरकार शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षक, संस्कृत
भविष्य दिखता नहीं! युग बीत रहा है!! अतीत धुंधला-सा दिख पड़ता है भविष्य दिखता नहीं! युग बीत रहा है!! अतीत धुंधला-सा दिख पड़ता है
आकर मेरी खिड़की पर तुम अपने पंख हिलाओ ना। आकर मेरी खिड़की पर तुम अपने पंख हिलाओ ना।
सब मिलकर हैं हमें सिखाती- 'शक्ति मेल मिलाप से आती। सब मिलकर हैं हमें सिखाती- 'शक्ति मेल मिलाप से आती।
मन के लिए बहलाव .... और...... और बहुत कुछ.... जो तुम्हारी सोच से परे हो। मन के लिए बहलाव .... और...... और बहुत कुछ.... जो तुम्हारी सोच से परे हो...
हाँ, मेरी दुनिया, मेरी अच्छाई के बल चलती है। हाँ, मेरी दुनिया, मेरी अच्छाई के बल चलती है।
भूखे पेट, कहो ! कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ ? भूखे पेट, कहो ! कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ ?
तुमने नदियों में (किनारे) घर बनाये, हमने नदियों पर (भर कर) घर बनाये। तुमने नदियों में (किनारे) घर बनाये, हमने नदियों पर (भर कर) घर बनाये।
नर पिशाच!! जिसने मानवता को नंगा किया.... वह तुम्हें कैसे छोड़ेगा??? नर पिशाच!! जिसने मानवता को नंगा किया.... वह तुम्हें कैसे छोड़ेगा???
किस खोह में बैठते हो? नंगे विचारों, खोखले हाथों, शायराना अंदाज़ों वाले वादों के साथ… किस खोह में बैठते हो? नंगे विचारों, खोखले हाथों, शायराना अंदाज़ों वाले वा...
विधाता, जब पुरुष होता है- युद्ध करता है! विधाता, जब पुरुष होता है- युद्ध करता है!