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मैं सुकरात नहीं, न हूँ मैं ईसा, न ही बनना चाहती हूँ, कोई भी मसीहा मैं सुकरात नहीं, न हूँ मैं ईसा, न ही बनना चाहती हूँ, कोई भी मसीहा
जी चाहता है, आज मैं बनवाऊँ, एक और लाक्षागृह ज़िंदा आहुति, क्यों न दे दी जाये ? जी चाहता है, आज मैं बनवाऊँ, एक और लाक्षागृह ज़िंदा आहुति, क्यों न दे दी जाये ?
पर, किसी न किसी, 'दमयंती' को छोड़कर यह, कलियुगी 'नल' भी रोज़ चला जाता है ! पर, किसी न किसी, 'दमयंती' को छोड़कर यह, कलियुगी 'नल' भी रोज़ चला जाता है !
मेरी 'अनु' कौन कहे ? कब न जाने कब अकेली हो गयी मैं याद है तुम्हें ? मेरी 'अनु' कौन कहे ? कब न जाने कब अकेली हो गयी मैं याद है तुम्हें ?
जो हूँ, ना होती तो, मैं भी एक 'बेगम जान' ही होती। जो हूँ, ना होती तो, मैं भी एक 'बेगम जान' ही होती।
बस, हाथ में हाथ लिये, ये वृद्ध जोड़े सिर्फ़ प्रेम किये चले जाते हैं।। बस, हाथ में हाथ लिये, ये वृद्ध जोड़े सिर्फ़ प्रेम किये चले जाते हैं।।
साफ़ आसमाँ की तलाश मुझे हर्गिज़ नहीं, बस ख़्वाहिश है, जो अबके रंग जो अबके रंगबरसे, तो झूमके रं... साफ़ आसमाँ की तलाश मुझे हर्गिज़ नहीं, बस ख़्वाहिश है, जो अबके रंग जो अबके ...
रोम-रोम में, फूँक दो, शंख-नाद समर में जाने का रोम-रोम में, फूँक दो, शंख-नाद समर में जाने का
अपने चमन की हर कली को, उसका बागवान, तहे - दिल से प्यार करता था । अपने चमन की हर कली को, उसका बागवान, तहे - दिल से प्यार करता था ।
काश मैं होती 'मोती बेगम','मिर्ज़ा ग़ालिब' की ज़िंदगी की - वो सिसकती हुई ख़ामोशी ! काश मैं होती 'मोती बेगम','मिर्ज़ा ग़ालिब' की ज़िंदगी की - वो सिसकती हुई ख़ामोशी !