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अवगुणों की खान हूं मैं द्वेषपूर्ण मानसिकता की पहचान हूं मैं आजादी के बाद भी अवगुणों की खान हूं मैं द्वेषपूर्ण मानसिकता की पहचान हूं मैं आजादी के बाद भी
मैं मासूम था मैं नादान था मैं उनके हर त्याग से मैं मासूम था मैं नादान था मैं उनके हर त्याग से
आपकी बेटी तक पहुँचने वाली जिसकी आंच है। आपकी बेटी तक पहुँचने वाली जिसकी आंच है।
दशहरा केवल वैदेही की मुक्ति की कहानी नही। दशहरा केवल वैदेही की मुक्ति की कहानी नही।
मैं बुद्धिहीन कुछ समझ ना पाया सुबह मेरी बहन ने मुझको बताया मैं बुद्धिहीन कुछ समझ ना पाया सुबह मेरी बहन ने मुझको बताया
शूल रहित हो पथ मेरा ये चाहा नहीं है मेरी। शूल रहित हो पथ मेरा ये चाहा नहीं है मेरी।
घृणा मेरा स्वभाव नहीं पर प्रेम की भीख न मांगूंगा घृणा मेरा स्वभाव नहीं पर प्रेम की भीख न मांगूंगा
भूत-भूतनी के क्या खूब किस्से थे आज हम कहां भीड़ भाड़ में खो गए भूत-भूतनी के क्या खूब किस्से थे आज हम कहां भीड़ भाड़ में खो गए
प्रजा का शोषण तो तब भी था बस शोषण के ढंग बदल गए प्रजा का शोषण तो तब भी था बस शोषण के ढंग बदल गए
मैं चंदन सा पादप शीतल सागर को मैं चला निकल। मैं चंदन सा पादप शीतल सागर को मैं चला निकल।