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प्यार है तुमसे

प्यार है तुमसे

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आज फिर कितनी प्यारी लग रही थी रीना रेशम से मुलायम काले बाल आँखों में काला काजल पतली कमर पर नीली टाइट जिंस और लाल रंग के टॉप में बला की खुबसुरत लग रही थी मानो आकाश से बिजली यही गिरी हो।

नजर उससे हटती न थी, मन कर रहा था अपनी आगोश में भर लूं उफ्फ उसका गुस्सा जो हर वक्त नाक के ऊपर विराजमान रहता अब तो वो मुझे भाव भी न देगी।

मैं भी तो अपने जज्बात पर काबू नहीं रख पाता सुबह ही बहस हो गयी …...बस मुंह फुलाये बैठ गयी अब जाकर कही मूड सही हुआ अगर अबके कुछ बोला तो मायके की राह पकड़ लेगी मुंह सिल लिया मैंने और सड़कों पर निकल पड़ा अवारा अकेला।

देर रात घर पहुंचा हूं कमरे की लाइट बंद रीना सो गयी होगी दबे पांव घर पंहुचा दरवाजा खुला था “ मैडम को पता है ,

हूं सो रही है नकचढ़ी, चुपचाप बिस्तर के कोने में जा पड़ा कब नींद आयी पता ही नहीं चला रात को अजीब सी आवाज कान में पड़ी लाइट जलायी तो देखा रीना के मुंह से झाग निकल रहे थे उसे मुंह से अजीब सी आवाज आ रही थी हे भगवान !

यह क्या नींद की गोली की सारी बोतल खाली! 

क्या किया इसने फटाफट उसे उठा़या कंधे पर लाद गाड़ी में बिठा ले चला अपने डॉ0 दोस्त के पास।

“ इतनी रात गये कौन है ”

वह शायद कालबेल की लगातार चीखती आवाज से हड़बड़ा गया मुझे देख चौंक गया दरवाज़े पर।

“क्या हुआ रोहन रीना को कन्धे पर देख हैरान !! “जल्दी करो दोस्त मेरी पागल बीबी ने सारी नींद की गोलि़या खा ली है।"

ट्रीटमेंट के बाद रीना को कुछ होश आया ,” मै यहां कैसे “? 

उसके चेहरे पर अब भी गुस्सा था।

भाभीजी रीलैक्स आप गुस्सा न करे मैं दोस्त की आड़ में जा छिपा उससे नजरें मिलाने की हिम्मत न थी। सुबह को वहां से वह मेरे दोस्त के समझाने से मेरे साथ चल दी उसने मुझेे सख्त हिदायत दी की दोबारा ऐसा न हो पर मेरा कसुर क्या था समझ नहीं आ रहा था।

घर काटने को दौड़ रहा था रीना अपने कमर में सो रही थी। मैं अब भी यही सोच रहा था रीना ने आत्महत्या करने की कोशिश क्यों की अगर मै इतना ही बुरा हूं तो मुझसे अलग हो जाये इस तरह अपनी हर ज़िद मनवाना उसकी आदत है जो अब पूरी तरह बेकाबू हो चुकी है वह इतनी खुदगर्ज निकलेगी मै कभी सोच भी नहीं सकता, शादी से पहले अच्छाईयों का ढोंग रचाती रही मेरे प्यार का हमेशा ही फायदा उठाया उसने, उसे पता है मैं उसे बेपनाहं मोहब्बत करता हूं 

जिसका सिला वह मुझे यूँ देगी इसका कतई गुमान न था।

रीना घुटनों में सर झुकाये दबी आवाज रो रही थी खाली कमरा अंतद्धंद चल रहा था, मैं मर भी जाऊ इस आदमी को कोई फर्क नहीं पड़ता तभी दुसरी आवाज कौंधी अगर फर्क न पड़ता तो वह तेरी जान बचाता ही क्यों ? 

उसे सिर्फ अपनी जरूरतों की परवाह होती है मेरी नहीं उसे मेरे जिस्म से प्यार है मुझसे नही सुंदर हूं तभी जान देता है कल यह सुंदरता न रही तो वो तो मेरी और देखेगा भी नहीं कभी उसने अपनी इच्छा से मेरी बात नहीं मानी मैंने ज़िद कर अपनी बातें मनवायी है | उसे सिर्फ हुक्म की गुलाम चाहिए जो उसकी फरमाईशे मानती रहे खुबसुरत जिनी बस जो मैं नहीं बन सकती मुझे जीना ही नहीं घुटन होती है मुझे मैं मरना चाहती हूं क्यो बचाया मुझे नफ़रत है रोहन तुमसे रोते रोेते रीना सो गयी

रोहन कमरे में आया सोती रीना को देखा उसे कुछ समझ नही आ रहा था क्या रीना को जगाये कब से भुखी सो रही है , रीना की मासूमियत देख वह सब भूल गया खाना एक तरफ रख जी को कड़ा कर रीना को उठाने लगा।

रीना उठो… !!


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