मूर्ती का सच
मूर्ती का सच
पूजा के अद्भुत पंडाल शिविर में एक कला संगम में:
स्वेत वस्त्र से लिपटी मूर्ती को देखने बहुत से लोग इकट्ठा हो रहे थे..। वहां पर दुनिया भर की प्रसिद्ध मूर्तियों की प्रतिलिपि तैयार थी, लोग मिनटों में देश विदेश की अद्भुत कलाकृतियों को देख रहे थे ..।
वहां पर फ्रेडरिक एगस्टे बार्थोल्डि द्वारा बनाई गईं विलक्षणता की मिसाल, फ्रांस व अमेरिकी गणराज्य को अमेरिकी क्रांति की याद दिलाती वह कलाकृति फ्रांस ने अमेरिका को भेंट दी थी, मित्रता के लिए एक स्वतंत्र पहल थी .. स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी नाम से प्रसिद्ध थी ..।
विशालकाय मूर्ति का इतिहास भी उतना ही महान, लोग उस इतिहास को दोहरा रहे थे ..।
दूसरी पंक्ति में अन्य मूर्ति कला के संग एक और विलक्षण कला दिखाई दी ..एक रोमन देवता बिल्कुल एक पुरुष की तरह प्रतीत होती हुई ..हाथ में मदिरा बैकस के स्वरूप लिए थी, वह नशे में प्रतीत होती थी, उस मूर्ति के बारे में बताया जा रहा था कि इसे रैफ़ेल रियारियो , प्राचीन मूर्तिकला के संग्रहकर्ता को हैरानी थी कि, इसे ऐसे क्यों दिखाया गया , उन्होंने इस मूर्ति को पसंद नहीं किया और उसे क्रय की लागत के लिए उचित न समझा । बाद में जिस उसे बनाने वाले के मित्र ने ही खरीद ली ...इस मूर्ति को बनाने वाले इटली के प्रसिद्ध मूर्तिकार माइकल एंजेलो थे और अंत में मित्र ही मित्र के काम आया ..।
तभी एक अलग तरह की मूर्ति भी वहां प्रदर्शनी में लगी थी ...।
और तभी तीसरी पंक्ति में :
एक कलाकार की तृतीया विश्व युद्ध की परिकल्पना में एक सफ़ेद मूर्ति रुप में कृषक
ऑलिव ( जैतून) की खेती करता हुआ दिख रहा था ..लोग ऐसी कला के आगे नतमस्तक हो गए जिसने समस्त मूर्तियों के साथ को पीछे छोड़ दिया था ..।
उसके नीचे पंक्तियों से लिखा था ," ओ ..! युद्ध के जलधर,
जरा ठहर...!
तू तांडव से विनाश ना कर ,
होने दें शांति की पैदावार..! "
उसके पीछे छिपा अर्थ था 'जैतून की खेती बहुत धीरे -धीरे होती है जब तक होगी तब तक, युद्ध के बादल अवश्य छंट जाएंगे..।'
उसके नीचे निर्मित एक कला में सुंदर स्वेद पंछी अपनी चोंच पर जैतून की पत्ती लिए था..।
ऐसा गहरे अर्थ का आशय समझकर लोग उसे सराहना करने लगे ...। वह शांति दूत पंछी समस्त दर्शकों और पर्यटकों को प्रेरणा दे रहा था ..। एक सकारात्मक दृष्टिकोण से लोगों को संदेश देता हुआ पंछी और कृषक लोगों को लॉग बुक में दर्ज करने के लिए उत्सुक कर रहा था ...।
मूर्तिकार गरीब था और किसी पंडाल में दशहरे के लिए बंगाल के प्रांत से लाया गया था ..। उसे पैसे देकर घर पहले ही भेज दिया था, कोई नहीं जान पाया था कि, वह कौन था ..? ?