ककुआ तोता
ककुआ तोता
एक बहुत सुंदर और घना बाग था, उस बाग में बहुत सारे तोते रहते थे। उनमें से एक तोता बाकी तोतों से उम्र में बड़ा था इसलिए सभी जवान तोते उसे ककुआ कहते थे।उस बाग के तोतों का मुखिया ककुआ ही था और उस बाग में एक खरगोश भी रहता था, उस खरगोश का नाम फगुआ था जो ककुआ का बहुत पुराना दोस्त था| ककुआ उसे रोज मीठे फल खाने को देता था लेकिन जवान तोते इसका विरोध करते थे और वह ककुआ से कहते थे कि यह बुड्ढा खरगोश हमारे किस काम का इससे दोस्ती रखना व्यर्थ है लेकिन ककुआ किसी की नहीं सुनता था वह दोनों अपनी दोस्ती पर नाज़ करते थे|
एक दिन उस बाग में गंभीर घटना घटने वाली थी लेकिन फगुआ खरगोश की सूझबूझ से सब कुछ सकुशल रहा हुआ यह कि बंजर भूमि में रहने वाली दुर्ग चीटियां बाग में अंदर घुस गई और एक पेड़ पर रखे तोता के घोंसले पर हमला करना चाहा जब तक वह पेड़ के पास आती तब तक फगुआ खरगोश ने पेड़ के चारों तरफ गहरा गड्ढा खोद दिया और बाग में बह रहे पानी का बहाव खुदे हुए गड्ढे की तरफ कर दिया जिससे चीटियां पेड़ पर नहीं चढ़ सकी और घोंसला में रखे बच्चे सुरक्षित बच गए। अतः इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि किसी को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिेए।