Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

इंतजार

इंतजार

2 mins
293


रागिनी विवाह वेदी पर बैठी थी, मंत्रोचार हो रहे थे। सभी बहुत खुश नजर आ रहे थे। रागिनी भी, आखिर सौरभ से ही उसका विवाह हो रहा था। उसने सौरभ को पा ही लिया, भले ही देर हो गयी, पर वो कहा गया है ना, ‘देर आये दुरुस्त आये।’


कितने तानें सुने लोगो के। 40 बरस की हो गयी अभी तक कुँवारी है। माँ बाप की छाती पर मूंग दल रही है, कुछ न कुछ खराबी होगी इसमे तभी तो अभी तक शादी नही हुई। 

मगर मैं तस से मस नही हुई। और आखिर यह दिन आ ही गया।


मुझे भी तो कितनी परेशानी हुई, मेरी ज़िद देखकर पापा ने बात करना बंद कर दिया, मम्मी की खराब तबियत देखकर तो एक बार मेरा मन् भी डांवाडोल हो गया।


पर मैं तो सौरभ की हो चुकी थी, मन् से, जन्म जन्म के लिये। बस हमारे फेरे ही तो होना बाकी था।पर सौरभ पर अपनी जिम्मेदारी थी, वह सब भाई-बहनों में बड़ा था, माँ पापा थे नही। सब जिम्मेदारी उसे ही निभानी थी। एक भाई और दो बहनें। जिनकी जिम्मेदारी उसे निभानी थी।


मैंने कहा भी शादी के बाद हम मिलकर जिम्मेदारी उठाएंगे, मगर सौरभ नही माना, उसने कहा था, "जान मैं तुम्हारे नाजुक कंधे पर इतना बोझ नही दे सकता। तुम कही और शादी कर लो। मुझे पता नही कितना वक्त लग जाये।"


मगर मैं भी जिद्दी थी। मैंने कह दिया, “मैं तुम्हारा ही इंतजार करूँगी मरते दम तक।”


सौरभ ने दोनों बहनों की शादी करी, गौरव (छोटा भाई) को अपने पैरों पर खड़ा करवाया। आखिर वह दिन आज आ ही गया जब मैं, दुनिया की नजर मैं भी उसकी हो गयी।



Rate this content
Log in