बदलती ज़िन्दगी
बदलती ज़िन्दगी
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अभी मंज़िल और तकलीफ से भरी होगी
अभी राह में और तकलीफ आनी बाकी है।
अभी ज़िन्दगी और ना-मालूम ख़्वाहिशों पर रुसवा होगा
अभी तल्खियों से और इस ज़ात को टूट कर बिखरना बाकी है।
अभी फासलों से ये रातें और तन्हाइयों में गुज़ारनी होगी
अभी दर्द सीने में छुपकर नासूर बनना बाकी है।
अभी सिसकियों से और कुछ वक़्त रूह को अज़ियात होगी
अभी हर उम्मीद को ना-उम्मीदी से रुलाना बाकी है।