सरल माहौल और मिजाज़ की एक ग़ज़ल
सरल माहौल और मिजाज़ की एक ग़ज़ल
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किसी की तो है मजबूरी इशारा
किसी दिल की है मंज़ूरी इशारा
कहाँ लम्बी कथा सुनता शराबी
समझ जाता है अंगूरी इशारा
हुई अब गैर की मेरी मुहब्बत
नज़र आया है सिंदूरी इशारा
मरे जाते हैं यूपी के खिलाड़ी
करे है चोट बँगलूरी इशारा
मेरा क्या दोष है जो दिल मचलता
वो सर से पाँव तक पूरी इशारा