बेटी
बेटी
तुझे दुनिया की बुरी नजरों से बचा लूँ
दिल चाहे कहीं दिल में छुपा लूँ
तु मुस्कुराये सदा युँ ही
वश मे हो तो खुदा से लिखवा लूँ
तु कोमल सी इक कली है
मेरे आँगन में जो खिली है
दिल डरता है मगर
नजरें जमाने की कहाँ भली हैं
तेरे सर पे खुदा का हाथ है
ये सोचकर मैं दिल को समझा लूँ
तेरी हसरतों पे सब कुर्बान है
तेरी जान में ही मेरी जान है
तुझे हँसता खेलता देखुँ
बस यही अरमान है
अपने हिस्से की खुशियाँ तेरे नाम लिख दुँ
तेरे सारे गम मैं उठा लूँ
क्युँ बेटियों को जग में सम्मान नही मिलता
मैं पूछना चाहूँ पर भगवान नही मिलता
प्रायी बेटी को भी जो सम्मान दे
कोई ऐसा इन्सान नही मिलता
मिल जाये गर कोई
मैं सीने से लगा लूँ
तुझे दुनिया की बुरी नजरों से बचा लूँ
दिल चाहे दिल में कहीं छुपा लूँ