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Nisha Nandini Bhartiya

Others

5.0  

Nisha Nandini Bhartiya

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माँ

माँ

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हम भूल गए उस माँ को

जिसने जीवन दान दिया

सींच अपने खून पसीने से

अपने पैरों पर खड़ा किया।

जब मैं रोता डरता था

तब आकर गले लगाती थी

आंचल से पोंछ आँसू मेरे

माथे को चूम चमकाती थी।

भूख मुझे जब लगती थी

वह तुरंत समझ जाती थी

बिन रोए मांगे ही मुझको

स्वादिष्ट आहार दे जाती थी।

मुझे सुलाने की खातिर

रातों की नींद खो देती थी

प्यारे प्यारे परियों वाले

किस्से मुझे सुनाती थीं।

उसके आंचल में छिपकर

मैं स्वर्ग का सुख पाता था

पिता के क्रोधित होने पर

माँ की गोद चढ़ जाता था।

दिन रात कष्ट उठा कर के

मुझको लाड़ लड़ाती थी

कितनी रातें उठ उठ कर

मुझको ठंड से बचाती थी।

जिस माँ ने पाले इतने बच्चे

वह आज बोझ बन जाती है

उन सारे बच्चों से मिल कर

एक माँ नहीं पाली जाती है।


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