चाहो तो
चाहो तो
ज़िंदगी से बढ़कर कोई विवाद नहीं
और मौत से बड़ा कोई अपवाद नहीं
चाहो तो आँखें ख़ुशी से भर के जी लो
और चाहो तो ग़म से डूबी ज़िंदगी का
ज़हर पी लो।
ज़िंदगी बहाकर ले जाती है हर चीज़ को
और कभी खड़ी कर देती है दुविधा के
बीच तो
चाहो तो निकल चलो भुलाकर सब कुछ
और चाहो तो हल कर डालो हर
बदलती तारीख।
ज़िंदगी से बढ़कर कोई विवाद नहीं
और मौत से बड़ा कोई अपवाद नहीं
ज़िंदगी तो हल पल इम्तिहान लेती रहती
कभी अश्क तो कभी मुस्कुराहट का
दान देती है
चाहो तो बदलते रहो ज़िंदगी के पन्नों को
और चाहो तो थम जाओ लिपट जाओ
गुज़रे वक़्त की सियन्हि में।
ज़िंदगी से बढ़कर कोई विवाद नहीं
और मौत से बड़ा कोई अपवाद नहीं