राम नवमी
राम नवमी
छाई शान्ति, सुख-समृद्धि चहूँ ओर,
आये नारायण जब से गर्भ में माता के,
राजा दशरथ थे पाने को अधीर पुत्र रत्न,
थे प्रतीक्षारत देवी देवता, अयोध्या वासी सभी,
अन्तोगतवा आया समय प्रकट होने का प्रभु के।
छाया हर्षोल्लास समस्त जग में,
आया मास पवित्र चैत्र का,
हुए विद्यमान ग्रह पाँचों अपने उच्च स्थान में,
योग, लग्न, वार, तिथि हुए सभी अनुकूल,
आई तिथि पवित्र नवमी की,
बह रही थी मन्द-मन्द सुगन्धित पवन,
हो गया था परिवर्तित जल नदियाें का अमृत में,
हुआ आच्छादित आकाश समूह से देवताओं के,
बरसाने लगे देवता भर अँजलियों में पुष्प सुगंधित,
करने लगे स्तुति नाग मुनि देवता,
बजने लगे नगाड़े आकाश में,
किये भेंट उपहार अनेक,
हुए प्रकट कमल नयन दीन दयाल जगत नारायण,
कर धारण आयुध भुजाओं में चारों,
दिव्य आभूषणों और वनवाला से सुशोभित।
हाथ जोड़ माता कौशल्या लगी करने स्तुति,
‘है बात हँसी की,
गुणों के धाम, सुख के समुद्र, भक्त वत्सल,
प्रभु, जग कल्याण हेतु, रहे गर्भ में मेरे।’
सुनाई कथायें नारायण ने पूर्व जन्म की,
करने हेतु जागृत वात्सल्य प्रेम अपने प्रति
हृदयागंम कर चरित्र विष्णु का किया अनुरोध माँ ने हरि से,
करने को बाल लीला, मिले सुख अनुपम जिससे,
लगे रोने जगत स्वामी धर रूप बालक का।
सुन क्रन्दन बालक का आई दौड़ी रानियां सभी,
नाम सुनने से ही जिनका होता है कल्याण,
जन्में वही घर दशरथ के ले रूप पुत्र का,
सुन संदेश यह गये समा ब्रह्मानन्द में दशरथ,
प्रेम है अतिशय मन में, है पुलकित शरीर,
दी आज्ञा राजा ने मनाने की उत्सव गा मंगल गीत,
हुए आनन्दमग्न अयोध्यावासी सभी।
पधारे गुरु वशिष्ठ राजमहल में लिये ब्राह्मण संग,
देखा रूप की राशी, गुणों का भंडार बालक अनुपम,
किये गये सभी जात कर्म संस्कार, मिला दान यथोचित सभी को,
हुआ श्रृंगार अनोखा अयोध्या नगरी का,
हो रही पुष्प वर्षा आकाश से, हैं परमानन्द में मग्न नगरवासी,
स्त्रियाँ दे रहीं बधाइयां और उतार रही आरती बालक की,
हैं आनन्दमय समस्त जग देख बाल रूप में जगत के स्वामी को,
लिया अवतार जिन्होंने कर समाप्त राक्षसों का, स्थापित करने को निर्भीक समाज,
हो जो सुख, शान्ति एवं सम्पन्नता से परिपूर्ण।
किया पूर्ण उद्देश्य अपना प्रभु श्री राम ने ले जन्म मनुष्य रूप में
मंगल दिवस राम नवमी को।।
