'फ्यूज़न'
'फ्यूज़न'
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नवजात शिशु
एक स्त्री का
ताज़ी कविता
एक कवि की
सृजन हैं दोनों ही
कवि पूछता है
स्त्री से
कुशल क्षेम
उसके आत्मज का
चर्चा करती है स्त्री
कवि से
उसकी कविता पर
यह संवाद है
एक सर्जक का
दूसरे सर्जक से
यह फ्यूज़न है
दो रचनाओं का
परस्पर
जिसमें शिशु की
मांसलता
से जुड़कर
कविता के शब्द
एक खास स्नेहोन्माद में
कंपित होते हैं
और कविता का
ललित, बंकिम सौंदर्य
शिशु के चेहरे पर
बिछलता है।