खेल निराले
खेल निराले
वक्त तेरे खेल
निराले निराले है
वक्त के हाथों की हम
सब कठपुतलियां है
ये वक्त कभी हमको हँसाता
तो कभी हमको रुलाता है
वक्त कभी हमको खुशियाँ
तो कभी गम दे जाता है
कभी हमसे पाप करवाता है
तो कभी पुण्य करवाता है
कभी प्यार सिखता है
तो कभी नफरत सिखाता है
कभी जीना सिखाता है
तो कभी मरने को मजबूर कर देता है
कभी छप्पड़ फाड़ कर
धन दौलत और खुशियाँ देता है
तो कभी कंगाल कर देता है
कभी किसी को राजा बना देता है
तो कभी किसी को भिखारी बना देता है
कभी किसी को जन्नत सी खुशियाँ देता है
कभी किसी को नरक में झोंक देता है
कभी आसमान पर बिठा देता है
तो कभी पैरो तले से ज़मीन भी छीन लेता है
वक्त के हाथों से सब मजबूर
मजबूर क्यों है कोई तो बताओ जरा