चलूं की रूक जाऊं ?
चलूं की रूक जाऊं ?
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कैसे, क्या करूं,
चलूं की रूक जाऊं ?
बह चलूं हवा संग,
या सोच लूं पल भर ठहरकर,
ज़िन्दगी को पा लूं फिर,
या खुद को ही भूल जाऊं,
कैसे, क्या करूं,
चलूं की रूक जाऊं ?
न मंज़िल नज़र में है,
न राह कोई सुखद,
अजनबी मोड़ है,
अजनबी डगर,
मैं बांध लूं पिंजड़े में खुद को,
या बिन पर उड़ जाऊं,
कैसे, क्या करूं,
चलूं की रूक जाऊं ?
ठंड हवा भी ताप लग रही,
नदी में डूबी हूं, पर प्यास लग रही,
कैसा अजीब मंज़र है,
घर पास है,
फिर किस घर की आस है,
मैं खुद से खुद को आज़ाद कर लूं,
या खुद में बंद हो जाऊं,
कैसे, क्या करूं,
चलूं की रूक जाऊं ?