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RockShayar Irfan

Others

2  

RockShayar Irfan

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"माँ तेरी याद बहुत आती है"

"माँ तेरी याद बहुत आती है"

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ज़िन्दगी की उलझनो से 
मैं जब भी निराश हो जाता हूँ
टूटकर कहीं बैठ जाता हूँ
दिल यूँ भर आता है
पलकों से बहने लगते हैं समंदर
जब सारी कोशिशें नाकाम हों  
उम्मीद दम तोड़ देती है
तन्हाई के उस मंज़र में
माँ तेरी याद बहुत आती है

मगर तू कितनी दूर है 
ये सोचकर आँखें छलकती हैं 
काश मैं तेरे पास होता
तू झट से गले लगा लेती
मेरी सब उलझनो को 
अपने आँचल से पोंछ देती
गोद में सर रखकर 
बेफिक्र होकर सो जाता 
तू प्यार से मेरे सर पर
हाथ फेरती जाती
ज़िन्दगी यूँ मुन्तज़िर है 
माँ तेरी दुआओ की 
आज भी जब किसी मुश्किल में होता हूँ 
माँ तेरी याद बहुत आती है

इतनी दूर क्यूँ मुझे भेजा 
मैं सदा तेरे पास रहना चाहता था
पढ़ा लिखा कर क़ाबिल बनाया 
क्यूँ मगर फासले आ गए है दरमियाँ 
यहाँ मेरा मन भी नहीं लगता है
भीड़ में रह कर भी
खुद को अकेला ही पाता हूँ
जब भी कोई कांटा चुभता है यहाँ 
मैं खड़ा बस तेरी राह देखूं 
कब तू आकर दिलासा देगी मुझे 
जैसे बचपन में दिया करती थी 
गिरते सम्भलते आखिरकार 
चलना तो सीख गया हूँ
खुद को सख्त भी बना लिया मैंने 
मगर आज भी, जब मायूस हो जाता हूँ
माँ तेरी याद बहुत आती है

कई दिनों तक रोता रहा था मैं 
जब पहली दफा तुमने
घर से दूर मुझे पढ़ने भेजा
फिर धीरे धीरे एहसास हुआ
कि ये जरुरी भी है 
आगे बढ़ने के लिए 
लेकिन वो सिलसिला तो यूँ बढ़ा 
घर से दूरी फिर बढ़ती ही गई 
जाने कैसी तक़दीर है ये मेरी 
इक हादसे ने दिल को 
पत्थर सा बना दिया 
सुनसान मोड़ पर लाकर
यूँही तड़पता छोड़ दिया 
अब चाहकर भी नहीं जा पाता हूँ 
बचपन के उस आँगन में
मगर आज भी, जब रात में 
बुरे ख्वाब से डरकर घबराता हूँ 
माँ तेरी याद बहुत आती है 
माँ तेरी याद बहुत आती है

 

 


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