शोभनीय श्यामसुन्दर
शोभनीय श्यामसुन्दर
ओह मेरे शोभनीय श्यामसुन्दर ! आप तो सदैव हैं सर्वांगसुन्दर !
आप तो स्वयं हैं कमनीय रमणीय महनीय मोहनीय मंदिर ! |१|
दैनंदिन आपके लिए प्रज्ज्वलित होता है देदीप्यमान दिव्यदीप,
भक्तवत्सल होकर समस्त भक्तजनों हेतु आप हैं जाज्वल्यमान ज्योतिस्वरूप |२|
पंचभूतों के समूह से रचा आपने यह नश्वर देह,
प्राण पखेरू होने तक रहेगा आपके प्रति मोह मोह |३|
भक्त जयदेव सुकृत गीत-गोविन्दम का श्रवण हो रहा है निनाद,
आपका सौहार्द्य सहाय बताए के भक्त-भगवन के मध्य में नहीं है प्रभेद |४|
पुरुषोत्तम श्रीजगन्नाथ अवतार से पूरी में नित्य होते हैं अवतंसित,
पौष पूर्णिमा पुष्याभिषेक विशेष स्वर्णवेष का सौंदर्य है वर्णनातीत |५|
श्री जगन्नाथ रूप में प्रति उत्कलवासी के मन में विद्यमान है आपका श्रीनिवास श्रीनिलय,
बलभद्र सुभद्रा सुदर्शन श्रीदेवी सहित महाप्रसाद के लिए सुप्रसिद्ध है नीलाचल देवालय |६|
गोकुलवासियों के सुरक्षा के लिए आपने उठाया गोवर्धन गिरि,
भक्ति-लहरी के प्रवाह से भक्तगण रचे आपके लिए कविता झरी |७|
आपके प्रेममय स्नेह के बिना इस जीवंत जीवन का अस्तित्व है शून्य,
आपके विराट विश्वरूप दर्शन से यह सीमित जीवन होगा धन्य |८|
आप हैं गुरुपुत्र सुदामा के प्रीतिकर प्रियमित्र,
आपके मृदुल मैत्री का उल्लेख उपाख्यान है सर्वदा सुचित्र |९|
सम्प्राप्ति किए पाण्डुपुत्र पार्थ आपका सादर सन्निधि,
पार्थसारथी होकर आपने प्रदान किया भगवद्गीता ज्ञाननिधि |१०|
पठन होता है जब श्री विष्णु सहस्रनाम श्री जगन्नाथ सहस्रनाम,
अवगत होता है के आपका प्रति नाम है स्वयं परमपुण्य धाम |११|
नंदनकानन मधुबन उद्यानवन का संरक्षण करें वंदनीय वनमाली,
ओह मेरे शोभनीय श्यामसुन्दर ! आप तो समग्र संसार के हैं वंदनीय वनमाली |१३|
ओह मेरे शोभनीय श्यामसुन्दर ! आप तो सदैव हैं सर्वांगसुन्दर !
आप तो स्वयं हैं कमनीय रमणीय महनीय मोहनीय मंदिर ! |१४|