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Raja Sekhar CH V

Inspirational

4  

Raja Sekhar CH V

Inspirational

शोभनीय श्यामसुन्दर

शोभनीय श्यामसुन्दर

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ओह मेरे शोभनीय श्यामसुन्दर ! आप तो सदैव हैं सर्वांगसुन्दर !

आप तो स्वयं हैं कमनीय रमणीय महनीय मोहनीय मंदिर ! |१|


दैनंदिन आपके लिए प्रज्ज्वलित होता है देदीप्यमान दिव्यदीप,

भक्तवत्सल होकर समस्त भक्तजनों हेतु आप हैं जाज्वल्यमान ज्योतिस्वरूप |२|


पंचभूतों के समूह से रचा आपने यह नश्वर देह,

प्राण पखेरू होने तक रहेगा आपके प्रति मोह मोह |३|


भक्त जयदेव सुकृत गीत-गोविन्दम का श्रवण हो रहा है निनाद,

आपका सौहार्द्य सहाय बताए के भक्त-भगवन के मध्य में नहीं है प्रभेद |४|


पुरुषोत्तम श्रीजगन्नाथ अवतार से पूरी में नित्य होते हैं अवतंसित,

पौष पूर्णिमा पुष्याभिषेक विशेष स्वर्णवेष का सौंदर्य है वर्णनातीत |५|


श्री जगन्नाथ रूप में प्रति उत्कलवासी के मन में विद्यमान है आपका श्रीनिवास श्रीनिलय,

बलभद्र सुभद्रा सुदर्शन श्रीदेवी सहित महाप्रसाद के लिए सुप्रसिद्ध है नीलाचल देवालय |६|


गोकुलवासियों के सुरक्षा के लिए आपने उठाया गोवर्धन गिरि,

भक्ति-लहरी के प्रवाह से भक्तगण रचे आपके लिए कविता झरी |७|


आपके प्रेममय स्नेह के बिना इस जीवंत जीवन का अस्तित्व है शून्य,

आपके विराट विश्वरूप दर्शन से यह सीमित जीवन होगा धन्य |८|


आप हैं गुरुपुत्र सुदामा के प्रीतिकर प्रियमित्र,

आपके मृदुल मैत्री का उल्लेख उपाख्यान है सर्वदा सुचित्र |९|


सम्प्राप्ति किए पाण्डुपुत्र पार्थ आपका सादर सन्निधि,

पार्थसारथी होकर आपने प्रदान किया भगवद्गीता ज्ञाननिधि |१०|


पठन होता है जब श्री विष्णु सहस्रनाम श्री जगन्नाथ सहस्रनाम,

अवगत होता है के आपका प्रति नाम है स्वयं परमपुण्य धाम |११|


नंदनकानन मधुबन उद्यानवन का संरक्षण करें वंदनीय वनमाली,

ओह मेरे शोभनीय श्यामसुन्दर ! आप तो समग्र संसार के हैं वंदनीय वनमाली |१३|


ओह मेरे शोभनीय श्यामसुन्दर ! आप तो सदैव हैं सर्वांगसुन्दर !

आप तो स्वयं हैं कमनीय रमणीय महनीय मोहनीय मंदिर ! |१४|


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