कुछ तो बता ऐ ज़िन्दगी
कुछ तो बता ऐ ज़िन्दगी
मेरे साथ-साथ मुझ में, उस बच्चे की भी मौत हो गई
कुछ तो बता ऐ ज़िन्दगी, तू इतनी बेरहम क्यों हो गई।
हर बार हर दफा, जो तूने चाहा वही मैंने किया
एक तेरी खुशी के लिए, ज़हर भी हँसकर पिया।
फिर भी एक अर्से से नाराज़ हुए बैठी है
खुशी में भी आजकल, तू उदास रहती है।
मेरे साथ-साथ मुझ में, उस अच्छाई की भी मौत हो गई
कुछ तो बता ऐ ज़िन्दगी, तू इतनी बेरहम क्यों हो गई।
हुई मुझसे ऐसी कौनसी ख़ता, बोल तो सही, कुछ तो बता
मुँह फेर ले तू चाहे मुझसे, मगर पहले थोड़ा हक़ तो जता।
तुझे भी तो मेरी याद आती होगी न, कभी न कभी
तुझे भी तो दर्द महसूस होता होगा न, कहीं न कहीं।
मेरे साथ-साथ मुझ में, उस इंसान की भी मौत हो गई
कुछ तो बता ऐ ज़िन्दगी, तू इतनी बेरहम क्यों हो गई।
खुद को पाने की ज़िद में, सब कुछ कितना बदल गया
अंधेरे से लड़ते-लड़ते, वो सूरज भी एक दिन ढ़ल गया।
एक तेरे ही तो इंतज़ार में, मैं अब तक वहीं ठहरा हुआ हूँ
यादों का सब्ज़ जंगल जलाकर, वीरान एक सहरा हुआ हूँ।
मेरे साथ-साथ मुझ में, उस शख़्स की भी मौत हो गई
कुछ तो बता ऐ ज़िन्दगी, तू इतनी बेरहम क्यों हो गई।