लीन मै
लीन मै
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"दि बेस्ट ऑफ गुलजार " लेकिन ये नहीं हो सकता है ?
एेसा हो सकता है, मुझे एसा नहीं लगता।
हर नज्म जिनकी, हर धडकन सी गूंजती,
हर शेर, हर सांस का गीत जिनका।
दि बेस्ट ऑफ गुलजार ये हो नहीं सकता है,
ऑल आर दि बेस्ट गर उनका है।
झुकके सलाम करता मंगेश ये,
जैसे ईबादत मे झुकता कैलाश के लीन मै।