अंतर्मन के घाव
अंतर्मन के घाव
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जोड़े रहता था
जो तुझको मुझसे
वो बँध कहाँ है?
मैं तुझसे हूँ
या फिर तू मुझसे
अब वो द्वन्द कहाँ है ?
छोर खुल गए
भावों में जकड़े अंतर्मन के,
होकर निश्छल भी तो
ये मन स्वछंद कहाँ है?