बात पते की
बात पते की
बात पते की मैं बताती हूँ
दिल के हाल मैं बतलाती हूँ
नही भरोसे की रही ये दुनिया
आँख बंद कर ना करना भरोसा
धोखा कब दे जाए कोई बनकर अपना
किसी को ना अपना बनाना
सोच समझकर हर रिश्ता बनाना
स्वार्थ में गयी अंधी ये दुनिया
पैसो की दीवानी है ये दुनिया
बात पते की बताती हूँ मैं
हर राज़ अपने बतलाती हूँ मैं
देखा है इन आँखों ने इतना धोखा
सब की आँखें खोलना चाहती हूँ मैं
माना प्यार अपने आप हो जाता है
पूछ कर कोई करता नही है
प्यार की राहों पर मिलेंगे धोखे हज़ार
हो हिम्मत आग का दरिया पार करने की
तब ही इन राहो पर अपने कदम बढ़ाना
दिल टूटेगा कभी दिल जुड़ेगा कभी
हर पल तुम बिखरोगे हर पल आँसू बरसेंगे
अपने ही बन जाते है दुश्मन
अपनो से ही लड़ना पड़ता है
इन राहो पर चलने वालों को जाने
क्या क्या सहना पड़ता है