माँ
माँ
माँ
त्याग की मूर्ति ,ममता की पूर्ति |
प्रेम की शक्ति, वात्सल्यमयी माँ |
शिशु के अनकहे वचनों के रुदन को,
अनभूति की शक्ति से पहचान के
प्रतिपल अनंत सुख पहुँचाती माँ |
कोमल शिशु को, ममता के हाथों से ,
आदर्श की अनुपम शीतल छाया में
प्रेरणा स्रोत बन कर संवारतीं माँ |
कभी मृदु प्यार, कभी नव उपहार से
कभी दुलार और कभी क्षमा भाव से ,
अनुशासन का हर पाठ सिखाती माँ |
माँ के दिए संस्कार अजर ,अमर हैं |
जग की बुराइयाँ, उन पर बेअसर हैं |
वात्सल्य पीढ़ियों पर लुटाती माँ |
माँ की ममता के हम सब हैं ऋणी |
माँ हैं गरिमामयी, दयामयी, प्रेममयी |