विरह
विरह
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मेरी दर्द भरी
बॉहों मे तुम
आयी क्यूं
नही |
मिल कर भी
हमसे मिल
पायी क्यूं
नही |
कैसा है ये
प्रणय प्रेम
ब्यथा विरह
सहकर भी
मिलन की रात
आयी क्यूं नही|
सच-सच बता
ऐ मेरी प्रिये!
समीप आकर
भी मेरे करीब
आयी क्यूं
नही |
विरह की आग
में जलकर भी
अंजलि प्राण
निकले क्यूं नही |