मुंतज़िर बात इतनी सी आज तुझपर मैं कर दूँ...
मुंतज़िर बात इतनी सी आज तुझपर मैं कर दूँ...
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मुंतज़िर बात इतनी सी आज तुझपर मैं कर दूँ,
रौशनाया तेरी इक नज़र पे सारा मैख़ाना मैं कर दूँ...
देखी होंगी मोहोब्बतें तूने भी अजब से गजब,
आ थोड़ी सी आज कड़वाहट भी नाम तेरे मैं कर दूँ...
पागलपन एक नशा है हम सिरफ़िरे आशिक़ों पे ही चढ़ता है,
याद क्या रखे तुझे आज अपना पागल थोड़ा मैं कर दूँ...
डगर असद की लंबी है कब तक अकेले चलेगा 'हम्द',
थाम आँचल मौत का तुझे दीवाना ले उसका मैं कर दूँ...